शनिवार, 30 जुलाई 2022

छत्तीसगढ़ी हास्य रचना

कुकुर मन के जबर फिकर...




कलवा कुकुर- गली सड़क म गरवा मन ला भूँक-भूँक के दउड़ावन त का मजा आवय यार। अब मजा नी आवत हे। 

भुरवा कुकुर- हाॅं यार सब गरवा मन तो गौठान म ओइलाय हें, बाॅंचे खुचे‌ मन कोठा म बॅंधाय हें। गली डाहर सुन्ना पर गे हे। 

खोरवा कुकुर- अरे गौठान म उॅंखर बर का गजब बेवस्था हे भाई, चारा, पानी, छइहाॅं...अरे मत पूछ। हमीं मन लठंग-लठंग एती-ओती फिरत हन। कुकुर मन के तो कोनो पूछइया नी हे। 

झबला कुकुर- अरे धीरे बोल रे भाई, नी जानस का? छत्तीसगढ़ सरकार ह पहिली तो गोबर खरीदी चालू करिस, अउ अब गौमूत्र घलो बिसावत हे। देखत रहिबे बाॅंचे-खुचे गरवा मन घलो गौठान म ओइला जहीं, नी ते कोठा म बॅंधा जहीं। हमन तो एती-ओती गली-डाहर के घुमइया अउ मस्त रहइया कुकुर आन, सोचव भूपेश सरकार के नजर कहूॅं हमर ऊपर पर गे, तब का होही? 

भुरवा कुकुर- बने कथस भाई, जनता के फायदा करे बर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिमाग म कोई भी आइडिया आ सकत हे। "गोधन न्याय योजना" के जइसे कहूॅं "श्वान धन योजना" लॉन्च कर दिस तब का होही? हमर तो मरे बिहान हो जही। सब मोर बात मानव, अउ अतलंग करना बंद करौ, जबरन भूॅंकना हबरना बंद करौ। रात म अपन ड्यूटी करौ अउ दिन म सबला "जय जोहार" करौ। 

जय जोहार...    

- साहेब छत्तीसगढ़िया, महासमुंद